Monika garg

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लेखनी प्रतियोगिता -16-Oct-2023#ऐसा विवाह

यह कहानी लिखते हुए मै किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस नही पहुचाना चाहती।बस मन के भाव थे जो शब्दो से बयां कर रही हूँ ।
कहते है देव उठनी एकादशी को अगर तुलसी के पौधे का विवाह शालिग्राम से कर दिया जाए तो जिनके यहां बेटी नही होती उनको कन्या दान का फल मिलता है।
  आज जानकी बहुत खुश थी।बात ही खुशी की थी।भगवान ने बेटी नही दी थी उस का मलाल जानकी को सदा रहा।पर अब बुढापे में आकर मन की ख्वाईश पूरी हो रही थी कन्या दान करने की।बडे बुजुर्ग कहते थे।,"जिनके घर बेटी नही होती उनकी दहलीज कुँवारी रह जाती है।"बस यही बात जानकी को खायें जाती थी।
     आज से दो दिन बाद उसके यहाँ "तुलसी विवाह "था।सभी मेहमानों को बुलाया गया था।एक अमीर औरत तुलसी विवाह कर रही थी तो निसंदेह विवाह मे खर्च भी बहुत हो रहा था।देव उठनी एकादशी का मुहरत था।चारो तरफ धूमधाम मची थी।पंडित जी तो सुबह ब्रहम मुहूर्त मे ही आकर सारा इंतजाम देख रहे थे साथ मे शालिगराम जी को भी अच्छे से कपड़े पहना कर लाये थे।मन ही मन आज कितना माल मिलेगा उसका हिसाब  लगा रहे थे।
जानकी जी तो सुबह से ही भाग दौड़ मे लगी थी आखिर तुलसी रूपी बेटी की जो शादी थी।जिस गमले मे तुलसी थी उसे दुल्हन की तरह सजाया गया था।
इतने मे गली मे बहुत जोर से शोर शराबा हो गया ।पता चला पड़ोस  मे वर्मा जी की बेटी जिस की आज शादी थी वह टूट गई ।कयोंकि वर्मा जी तो रहे नही।उनकी पत्नी के पास  इतना नही था कि वो लडके वालों की फरमाइश पूरी कर सके।पता नही क्या फरमाइश की थी बेटे वालों ने।जब जानकी उनके घर पहुंची तो मिसेज वर्मा सुबक रही थी।जैसे ही अपनी हमदर्द (जानकी)को देखा जोर से रूलाई फूट पड़ी ।"बहन अब कैसे करूँ गी बेटी के हाथ पीले ।कहते है अगर गरीब की बेटी का रिश्ता टूट जाये तो जल्दी से कोई हाथ नही पकड़ता ।"जानकी उसे धीर बंधाती रही।और ये आश्वासन देकर चली आयी कि तुम चिंता मत करो भगवान सबका साथी है।सब ठीक हो जायेगा ।
उसे जल्दी घर पहुँचना था।उसके यहाँ भी तो विवाह था।घर आकर अपने कार्य में लग गया।पर मन अभी भी मिसेज वर्मा की बातों से अनमना सा हो गया था।उसी वक्त उसकी सहेली जो दूसरे शहर रहती थी आ गयी ।दोनो सहेलियां बड़े प्यार से मिली।चाय नाश्ता करके जब दोनों बैठी तो बात चल पडी,"जानकी रमेश के लिए कोई  लड़की  बता ना शादी लायक हो गया है जब भी कहती हूँ कोई लड़की है तेरे मन मे तो बस यही कहता है माँ आप बस करो आप जो ढूढेगी वो ही मंजूर होंगी ।"जानकी ने सिर हिला कर हां कर दी।शादी की रस्मे शुरू होने लगी।तभी अचानक से जानकी उठी और मिसेज वर्मा के यहाँ पहुँच गयी ।आपस मे कुछ  बातें  हुई।

शादी के मुहरत के समय जानकी जी के घर मे दो शादीयों मे लोग समलित हो रहे थे।एक तुलसी विवाह और एक वर्मा जी की बेटी का।जानकी जी बीच मंडप मे खड़ी दोनों बेटियों का कन्या दान कर रही थी।एक बेटी शालिगराम जी के साथ ।दूसरी अपनी सहेली के बेटे के साथ ।।।।


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4 Comments

RISHITA

20-Oct-2023 10:56 AM

Nice

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Mohammed urooj khan

18-Oct-2023 12:08 AM

👌👌👌

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Abhinav ji

16-Oct-2023 07:40 AM

Very nice 👍

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